इलेक्ट्रॉनिक प्रभाव
" वह प्रभाव जिसमें सिग्मा इलेक्ट्रॉन अथवा पाई इलेक्ट्रॉन का विस्थापन होता है, इलेक्ट्रॉनिक प्रभाव कहलाता है । "
इलेक्ट्रॉनिक प्रभाव के प्रकार - इलेक्ट्रॉनिक प्रभाव दो प्रकार का होता है -
[A]-स्थाई प्रभाव (परमानेंट प्रभाव)- इसे ध्रुवीकरण प्रभाव भी कहते हैं क्योंकि यह प्रभाव जिन यौगिकों में उपस्थित होता है उनमें ध्रुवता उत्पन्न हो जाती है , जिसके कारण परमाणुओं में आंशिक धन आवेश व आंशिक ऋण आवेश उत्पन्न हो जाता है ।
स्थाई प्रभाव निम्न प्रभावों में उपस्थित रहता है -
●प्रेरणिक प्रभाव
●मेजोमेरिक प्रभाव
●अतिसंययुग्मन
[B]-अस्थाई प्रभाव( टेंपरेरी प्रभाव) - इस प्रभाव को ध्रुवणता प्रभाव भी कहते हैं , क्योंकि इस प्रभाव में आक्रमणकारी अभिकर्मक उपस्थित रहता है जो इलेक्ट्रॉन मेघ को विकृत करता है।
प्रेरणिक प्रभाव
●सामान परमाणुओं में - यदि दो समान परमाणुओं के बीच सहसंयोजक बंध बना हो तो साजे का इलेक्ट्रॉन युग्म दोनों परमाणुओं की बीचों-बीच वितरित रहता है । जिसके कारण ध्रुवता उत्पन्न नहीं होती और यौगिक अध्रुवीय हो जाता है ।
उदाहरण--
H-H
Cl-Cl
Br-Br
F-F
●असामान परमाणुओं में - यदि सहसंयोजक बंध दो असमान परमाणुओं के बीच बना हो तो अधिक शक्तिशाली (अधिक विद्युत ऋणात्मक परमाणु) साझे के इलेक्ट्रॉन युग्म को अपनी और आकर्षित कर लेता है जिसके कारण वे इलेक्ट्रॉन युग्म उस अधिक विद्युत ऋणात्मक परमाणु के अधिक निकट आ जाते हैं और इस कारण से उस परमाणु पर आंशिक इलेक्ट्रॉनों की वृद्धि हो जाती है ।
इसी कारण से उस अधिक विद्युत ऋणात्मक परमाणु पर आंशिक ऋण आवेश उत्पन्न हो जाता है। जबकि बंध से जुड़े दूसरे परमाणु पर (जिससे इलेक्ट्रॉन युग्म दूर चले गए हैं) इलेक्ट्रॉनों की आंशिक कमी के कारण आंशिक धन आवेश उत्पन्न हो जाता है । इस प्रकार आवेश उत्पन्न होने के कारण बंध ध्रुवीय हो जाता है।
उदाहरण---
δ+ δ-
H-F
H- कम विद्युत ऋणात्मक ( दुर्बल )
F- अधिक विद्युत ऋणात्मक ( प्रबल )
H-F
H-OH
प्रेरणिक प्रभाव परिभाषा---
● "सिग्मा बंध से बंधित इलेक्ट्रॉन युग्म का अधिक विद्युत ऋणात्मक परमाणु अथवा समूह की ओर विस्थापन प्रेरणिक प्रभाव कहलाता है । "
●"सिग्मा बंध के इलेक्ट्रॉनों का एक दिशा में स्थाई विस्थापन प्रेरणिक प्रभाव कहलाता है । "
● "कार्बन श्रंखला में किसी प्रबल समूह अथवा परमाणु के जुड़ने से सिग्मा बंध का ध्रुवीकरण होना प्रेरणिक प्रभाव कहलाता है । "
प्रेरणिक प्रभाव की विशेषताएं ---
[1]प्रेरणिक प्रभाव को I से प्रदर्शित किया जाता है ।
[2]यह एक स्थाई प्रभाव है जो विद्युत ऋणात्मकता में अंतर के कारण उत्पन्न होता है ।
[3]प्रेरणिक प्रभाव की सामर्थ्य विद्युत ऋणात्मक परमाणु से दूरी बढ़ने के साथ-साथ घटती जाती है अर्थात जैसे-जैसे विद्युत ऋणात्मक परमाणु से दूर जाते हैं प्रेरणिक प्रभाव घटता जाता है । लगभग चौथे कार्बन (C4) के बाद यह प्रभाव लगभग शून्य हो जाता है ।
[4]यह प्रभाव केवल सिग्मा बंध से बंधित यौगिकों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है ।
[5] इस प्रभाव के कारण आंशिक आवेश पृथक्करण उत्पन्न होता है ।
[6] इलेक्ट्रॉन साझे का इलेक्ट्रॉन युग्म एक दिशा में ही गति करता है
[7] यह प्रभाव यौगिक के भौतिक अथवा रासायनिक गुणों को प्रभावित करता है ।
[8] इसे ट्रांसमिशन प्रभाव भी कहते हैं ।
प्रेरणिक प्रभाव के प्रकार
[A] ऋणात्मक प्रेरणिक प्रभाव (-I)--- इसे इलेक्ट्रॉन आकर्षी प्रभाव भी कहते हैं । वह समूह अथवा परमाणु जो कार्बन श्रृंखला में सिग्मा बंध के इलेक्ट्रॉनों को अपनी ओर प्रबलता से आकर्षित करता है -I समूह कहलाता है और यह समूह -I प्रभाव उत्पन्न करता है । इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने के कारण इन समूहों पर आंशिक ऋण आवेश उत्पन्न हो जाता है
δδδδ+ δδδ+ δδ+ δ+ δ-
C4->>>>-C3->>>-C2->>-C1->-X
X- इलेक्ट्रॉन आकर्षित समूह(विद्युत ऋणात्मक समूह )
☆ धन आवेश का क्रम- δδδδ+ < δδδ+ < δδ+ < δ+
☆ प्रेरणिक प्रभाव का क्रम- C1 > C2 > C3 >C4
-I समूहों में प्रेरणिक प्रभाव का क्रम-
NF3+ > NR+3 > NH+3 > CF+3 > NO2 > CN
> SO3H > CHO > COR > COOH > COCl >
CONH2 >F > Cl > Br > I >OR >OH > CCH
>NH2 >C6H5 > CH=CH2 > H
[B]धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव (+I)--- इसे इलेक्ट्रॉन दाता प्रभाव भी कहते हैं । वे समूह जो कार्बन श्रृंखला को इलेक्ट्रॉन युग्म दान करते हैं , + I समूह कहलाते हैं और ये समूह +I प्रभाव प्रदर्शित करते हैं । इलेक्ट्रॉन दान करने के कारण इन समूहों पर आंशिक धन आवेश उत्पन्न हो जाता है ।
δδδδ- δδδ- δδ- δ- δ+
C-<<<<-C-<<-C-<<-C-<-Y
Y- इलेक्ट्रॉन दाता समूह
☆ ऋण आवेश का क्रम - δδδδ- < δδδ- < δδ- < δ-
☆ प्रेरणिक प्रभाव का क्रम- C1 > C2 > C3 >C4
+I समूहों में प्रेरणिक प्रभाव का क्रम-
जहां -
H- प्रोटियम(1H1)
D-ड्यूटीरियम(1H2)
T - ट्रायटियम (1H3)
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Very nice
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